कहानी -आपदा
लघुकथा -आपदा
चारों तरफ़ पानी ही पानी भर चुका था और बारिश़ थी कि, रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी।
सुखिया की झोपड़ी में पानी जगह -जगह से टपक रहा था।
हे भगवान! अब तो बरसात थम़ जा री तू…।” सुखिया हाथ जोड़कर भगवान से विनती कर रही थी।
दो दिन से काम पर गयी नहीं।पति भी मज़दूरी पर नहीं जा पाया। घर में राशन नाम मात्र का बचा है। बच्चों को चारपाई पर सुला कर ख़ुद भी उनके पैरों में लेट गई। पूरी रात पानी बरसता रहा। सुबह-सुबह बाहर चीखें सुनकर सुन्न हो गई। अनर्थ की आशंका से बाहर आकर देखा…… पड़ोसी श्याम का बच्चा मर गया था। झोपड़ी में कोई साॅंप घुस गया और अंधेरे में बच्चे को दिखा नहीं पैर पर सांप ने डस लिया ज़हर फैल गया और वो मासूम चल बसा। ये बारिश क्या- क्या आपदा बरसायेगी ?अंदर आकर सुखिया बच्चों को संभालते रोने लगी।
योगमाया शर्मा
कोटा राजस्थान