कहां गए तुम
पिता दिवस पर पिता को खोजूं,
लेकिन पिता का पता नहीं।
एक दिन उठकर चल दिए घर से,
कहाँ गए तुम बता नहीं।
पिता के कारण जीवन सजता,
खुशियां पल पल करें झंकित।
अब तो बस मानस के ऊपर,
कतिपय यादें हैं अंकित।
मुझे याद है मेरे बापू,
डियूटी से जब आते थे।
सेब संतरा पेड़ा रेवड़ी,
मेरे खातिर लाते थे।
मैं छोटा बच्चा था उन दिन,
बाल सुलभ हठ था मुझमें।
लाल टमाटर मुझको चहिए,
रोकर जिद करता उनसे।
थके से होते फिर भी मेरा,
गाल बाल सहलाते थे।
उल्टे पाँव तुरत ले मुझको,
लाल टमाटर लाते थे।
कभी न हाथ उठाया मुझ पर,
सैदव करते थे विश्वास।
मैंने भी अपने पापा को,
कभी कहीं न किया निराश।
बहुत कृपा तेरी जीवन दाता,
शुभ आशीष सदा अंग अंग।
दूध पूत माया है लेकिन,
सब्र शबूरी भी संग संग।
पित्र दिवस पर अर्ज यही है,
गुरु कृपा तुम पाओ।
जन्म मरण से मुक्ति मिले,
तुम हरि में जाय समाओ।