कहाँ मिलोगे?
कहाँ मिलोगे?
कहाँ मिल सकोगे तुझे खोजना है।
तुम्हारे विषय में सदा सोचना है।
तुम्हीं लक्ष्य प्यारे हृदय में धँसे हो।
तुझे ढूढ़ना है सही में बसे हो।
सुनहरा मनोरम परम रूप मोहक।
कलेजा तुम्हीं एक नित प्रीति पोषक।
तुम्हारा सपन देखता मन हमेशा।
विचरते सदा स्नेह बनकर हमेशा।
तुम्हारी प्रभा पर हृदय यह फिदा है।
तुम्हारी मनोहर बहुत प्रिय अदा है।
जरूरी मिलन हो यही कामना है।
मिलोगे सुनिश्चित सुदृढ़ भावना है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।