कहाँ कमी रह जाती है
बार बार गर असफलता ही आती है ।
तो सोचो कि कहाँ कमी रह जाती है ।।
सदअभ्यास निरंतर त्रुटियां दूर करे ।
तब ही मेहनत सदा सफलत लाती है ।।
सुख को त्यागो और कर्म में लीन रहो ।
उन्नति की भी तभी राह दिख पाती है ।।
जिसने लक्ष्य साधकर पूरा काम किया ।
साधना स्वयं ही सिद्धि गीत गाती है ।।
बैठे बैठे काम टालने की आदत ।
इससे भी तो घोर निराशा छाती है ।।
सकारात्मक सोच हमेशा जिनकी है ।
उनको ही कर्तव्यनिष्ठता भाती है ।।