#कहते_रवि_कविराय #
#कहते_रवि_कविराय #
दिहाड़ी (कुंडलिया)
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रोजाना ही हो रही ,शिमला वाली ठंड
घर में नैनीताल का ,मिला हुआ है दंड
मिला हुआ है दंड ,शीत नित बढ़ता जाता
मैदानी हम लोग ,कहाँ मौसम यह भाता
कहते रवि कविराय ,प्रभो आदेश सुनाना
सूरज आए रोज , दिहाड़ी है रोजाना
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
दिहाड़ी = दैनिक मजदूरी ,प्रतिदिन की उपस्थिति के आधार पर दिया जाने वाला वेतन