*चली सुकुमारी खोई (कुंडलिया)*
चली सुकुमारी खोई (कुंडलिया)
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मिलने को प्रिय से चली ,लेकर सुंदर चाव
दर्शाती अंतर कहाँ , रखती गोपन भाव
रखती गोपन भाव ,नहीं पढ़ पाए कोई
मन में प्रिय की याद ,चली सुकुमारी खोई
कहते रवि कविराय ,प्रेम-रस में खिलने को
ढके पलक से नेत्र , चली गोरी मिलने को
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
गोपन = छुपाने का भाव ,छिपाना ,बात छुपा कर रखना