कहते हो हमको दुश्मन
कहते हो हमको दुश्मन, जबकि जान तुमको देते हैं।
ना जाये जान तेरी जान, हम प्यार तुमको देते हैं।।
कहते हो हमको दुश्मन—————–।।
हो गए हम चाहे बदनाम, तुम्हारे लिए इस शहर में।
तुम रहो हमेशा खुश, हम खुशी तुमको देते हैं।।
कहते हो हमको दुश्मन——————।।
यह सच है हम आजिज कभी, तुम पर हुए हैं।
तुम लहू बहाये नहीं, हम लहू तुमको देते हैं।।
कहते हो हमको दुश्मन—————-।।
नहीं चाहिए हमको सच में, तुम्हारी दौलत और जान।
मांगते हैं तुमसे मोहब्बत, हम इज्जत तुमको देते हैं।।
कहते हो हमको दुश्मन—————-।।
फिर भी नहीं हो यकीन अगर, देख लो तुम ही पढ़कर।
तुम नहीं हो बर्बाद कभी, हम वसीहत तुमको देते हैं।।
कहते हो हमको दुश्मन—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847