कविता
मिलन
मिलन अगर हो तो मिलना हो।
बिना मिलन के सुख सपना है।।
मिलन करो तो मिलते रहना।
सुख की हाला पीते रहना।।
बार बार प्रिय मिलते रहना।
मधुमय जीवन जीते चलना।।
आतुर रहना मिल लेने को।
व्याकुल हो लेने देने को।।
मधुर मिलन में प्रीति समन्दर।
यही रीति प्रिय अमर नेह घर।।
मिलन हुआ तो राह बनाओ।
मुलाकात को सहज सजाओ।।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।