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16 Aug 2022 · 1 min read

कविता

कविता
(स्मृति : अटल बिहारी वाजपेई)
————————————————–
ढका तिरंगे से सफेद फूलों से शव था
नया एक देखा सब ने अद्भुत अनुभव था(1)

रखा तोपगाड़ी में शव चलता जाता था
सड़कें दिल्ली की थीं चिर- परिचित नाता था(2)

अमर रहेंगे अटल बिहारी नारे लगते पाए
मीलों तक थे लोग न जाने कहाँ- कहाँ से आए (3)

मिले नहीं थे जननायक से साढ़े नौ सालों से
किंतु अमर वाणी कब बंदी हो पाई तालों से(4)

गूंज रही थी जनमानस में वक्ता कवि की वाणी
जन जिसका बन गया उपासक छवि देवों- सी मानी(5)

ठहरी दृष्टि तभी देखा मोदी जी पैदल चलते
गर्मी थी घनघोर पसीना सूरज देखा जलते(6)

यह प्रधानमंत्री से बढ़कर एक पुत्र था रोया
नेता गया सभी का लेकिन पिता एक ने खोया(7)

यह पदयात्रा महासफर की नम्र गवाही लाई
दाँतों से उँगली जिसने भी देखा वहीं दबाई(8)

सब पैदल चल पड़े धनिक क्या ऊंचे पदधारी थे
जब प्रधानमंत्री जी खुद पैदल थे बिन- गाड़ी थे(9)

सब मंत्री अधिकारी व्यापारी सब पैदल पाए
गाड़ी लिए अकेले वाहनचालक सबके आए(10)

यह था अद्भुत दृश्य विश्व में फिर यह नहीं दिखेगा
श्रद्धांजलि यह थी दुर्लभ इसको इतिहास लिखेगा(11)

पद से था कद बड़ा हो गया सम्मोहन- सा छाया
अविनाशी हैं अटल बिहारी मरी विनाशी काया(12)
_____________________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451

Language: Hindi
247 Views
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