कविता
कविता
रात जब होने आती,
दिल में दर्द उमड़ता है।
उमड़ते दर्दे स्याही को,
कलम से लिखती हूं।।
कलम दोस्त बन मेरी,
गले से मुझे लगाए।
यही कलम को में,
हमसफर समझती हूं।।
ये कलम ही मुझको,
जीना सिखाती है।
कलम की वजह से ही,
अधरों में मुस्कान आती है।।
पूछें मुझसे जहांवाले,
पीड़ा कैसे लिख पाती हो।
सबको कैसे बताए ‘सुषमा,
मन को कैसे समझाती है।।
सुषमा सिंह उर्मि