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30 Jan 2022 · 1 min read

कविता

?विषय-घरौंदा?
तिल- तिल कर घरौंदा बनाया मैने,
बड़े जतन से,
ऐसी आई विरह की आंधी,
जो साथ में ले गई सब अपने।
पर हाय!साथ में दे गई एक दर्द,एक पीड़ा,
स्वर्ण सपने थे मेरे,
और देखते ही देखते,
मेरी आशाओं का घरौंदा,
क्षण भर में कतरा कतरा हो बिखर गए।।
सुषमा सिंह उर्मि

Language: Hindi
182 Views
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