कविता
?मां?
मां का साया ही बहुत है
रख कर गोद में सिर
मिलता बहुत सकून है
मां का प्यार है अनमोल
चितवन मां की हर और है
परिताप जब भी होता ये मन
मां रहिमाना बन जाती है
करती असीम प्यार है
जब भी कोई विपदा आती
सारथी हे बन जाती
बच्चों पर अपना सर्वस्व न्योछारती
ऐसी ममता की देवी होतीं
मां तेरी महिमा अनंत और महान है।
सुषमा सिंह “उर्मि,,