कविता
सजना जबसे, तुम दूर गए l
दिल को करके, मजबूर गए ll
दिन -रात तुम्हें, प्रिय याद करूँ l
जब पीर बढ़े, तब आह भरूँ ll
बिन स्वार्थ करें, जब काम सभी l
मिलता जग में, पद, मान तभी ll
सुख में यह जीवन मस्त लगे l
मन में शुचि भाव , तथैव जगे ll
मन में पलता, जब द्वेष कहीं l
बचता कुछ भी, तब शेष नहीं ll
जब जीवन में,अँधियार रहे l
मन को खलता, उजियार रहे ll
साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू ‘
आंध्र प्रदेश
#स्वरचित _मौलिक