कविता
प्रिये! आज कोई नया गीत गाओ l
सदा ज़िंदगी में सखी! मुस्कुराओ ll
खिले बाग में फूल रंगीन सारे l
समा है सुहाना, हसीं है नजारे ll
सभी देवता हैं, नहीं मान लेना l
जिन्हें पूजती हो,उन्हें मान देना ll
भरोसा पलों में सभी तोड़ते हैं l
कलाई सदा सत्य की मोड़ते हैं ll
गरीबी जनों को सताती रही है l
अमीरी सभी को लुभाती रही है ll
नहीं क्यों भला दीन का हो रहा है l
दुखी आदमी धैर्य को खो रहा है ll
साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू
आंध्र प्रदेश
#स्वरचित_ मौलिक