कविता
सदा हम सत्य ही बोलें l
वचन में प्रीति रस घोलें ll
मनुज जो सभ्य कहलाते l
नहीं वह झूठ कह पाते ll
दया का भाव जो रखते l
सहज ही पीर को लखते ll
अमित जो नेह बरसाये l
उन्हें संतोष मिल पाये ll
करें साकार सपनों को l
चलाकर साथ अपनों को ll
तमाशा जब लगे जीवन l
प्रफुल्लित नित रहे तन- मन ll
समय के साथ जो बदले l
नहीं तूफान में मचले l
हृदय की पीर जब रीते l
सकल जीवन सुखद बीते ll
साई लक्ष्मी गुम्मा ‘शालू ‘
आंध्र प्रदेश
#स्वरचित _मौलिक