Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Apr 2020 · 1 min read

कविता

क्यूँ री सखि भाग -5

झूठी उसकी.प्रीत सखि री
आयो न मेरो मीत सखि री
दर दर भठकुँ ठोकर खाऊँ
गाऊँ विरह के गीत सखि री

कहां से उसको ढूंड निकालूँ
बन जाये जो मीत सखि री
छुड़ा के दामन हरदम भागे
कैसी उसकी रीत सखि री

अपना होकर रहे न अपना
समय सा जाये बीत सखि री
दर्द दे और खूब चिढ़ाये
समझे अपनी जीत सखि री

सुन्दर दिल है खुद भी सुन्दर
है वो बड़ा पुनीत सखि री
बीणा की झंकार सरीखा
मालकोंस संगीत सखि री

प्यारा सा मनमोहक लगता
वर्ण है उसका पीत सखि री
अपनी कहे सुने न मेरी
जानू़ न उसकी नीत सखि री

दिल में आग लगाये मेरे
ग्रीष्म हो या शीत सखि री
दिल लूटे पर भेद नहीं दे
निराश मेरा मनमीत सखि री

सुरेश भारद्वाज निराश
धर्मशाला हिप्र

Language: Hindi
206 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे【 गीतिका】*
*जिंदगी-भर फिर न यह, अनमोल पूँजी पाएँगे【 गीतिका】*
Ravi Prakash
"इण्टरनेट की सीमाएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
🌲दिखाता हूँ मैं🌲
🌲दिखाता हूँ मैं🌲
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
विजयनगरम के महाराजकुमार
विजयनगरम के महाराजकुमार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
स्त्री चेतन
स्त्री चेतन
Astuti Kumari
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
यहाँ किसे , किसका ,कितना भला चाहिए ?
यहाँ किसे , किसका ,कितना भला चाहिए ?
_सुलेखा.
पुष्पवाण साधे कभी, साधे कभी गुलेल।
पुष्पवाण साधे कभी, साधे कभी गुलेल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
इतनी भी
इतनी भी
Santosh Shrivastava
इंसान बनने के लिए
इंसान बनने के लिए
Mamta Singh Devaa
मेरी कविताएं
मेरी कविताएं
Satish Srijan
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
ফুলডুংরি পাহাড় ভ্রমণ
Arghyadeep Chakraborty
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
■ सीधी सपाट...
■ सीधी सपाट...
*Author प्रणय प्रभात*
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
अतिथि हूं......
अतिथि हूं......
Ravi Ghayal
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
ତାଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
बहुत सस्ती दर से कीमत लगाई उसने
बहुत सस्ती दर से कीमत लगाई उसने
कवि दीपक बवेजा
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भीम राव हैं , तारणहार मेरा।
भीम राव हैं , तारणहार मेरा।
Buddha Prakash
हे अयोध्या नाथ
हे अयोध्या नाथ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
मानवता की चीखें
मानवता की चीखें
Shekhar Chandra Mitra
💐प्रेम कौतुक-251💐
💐प्रेम कौतुक-251💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
एक अच्छी हीलर, उपचारक होती हैं स्त्रियां
Manu Vashistha
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
मेरे भोले भण्डारी
मेरे भोले भण्डारी
Dr. Upasana Pandey
"दुमका संस्मरण 3" परिवहन सेवा (1965)
DrLakshman Jha Parimal
Loading...