Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2022 · 1 min read

कविता -भोग

संचिताचा भोग संपणार कधी,
उद्या चा आनंदी सूर्य दिसणार कधी ||
भोग आणखी हि किती बाकी आहे,
अंतिमश्वासा पर्यंत का तो साथीआहे ||
जरि जगण्याची उर्मी बाकी आहे,
जगण्यासाठी समतेची युक्ती नामी आहे ||
कषयांच्या उठल्या सुनामी जरि
सोसण्या ते घाव तु बनावे सुज्ञानी तरि ||

Language: Marathi
3 Likes · 1 Comment · 154 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तन्हाई को तोड़ कर,
तन्हाई को तोड़ कर,
sushil sarna
तुम्हारे साथ,
तुम्हारे साथ,
हिमांशु Kulshrestha
एक छोटी सी तमन्ना है जीन्दगी से।
एक छोटी सी तमन्ना है जीन्दगी से।
Ashwini sharma
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
डॉ.सीमा अग्रवाल
शिव स्तुति महत्व
शिव स्तुति महत्व
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
*गंगा उतरीं स्वर्ग से,भागीरथ की आस (कुंडलिया)*
*गंगा उतरीं स्वर्ग से,भागीरथ की आस (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
🌸मन की भाषा 🌸
🌸मन की भाषा 🌸
Mahima shukla
सावनी श्यामल घटाएं
सावनी श्यामल घटाएं
surenderpal vaidya
" बीता समय कहां से लाऊं "
Chunnu Lal Gupta
😢
😢
*प्रणय प्रभात*
काँटों ने हौले से चुभती बात कही
काँटों ने हौले से चुभती बात कही
Atul "Krishn"
तिमिर है घनेरा
तिमिर है घनेरा
Satish Srijan
*वो जो दिल के पास है*
*वो जो दिल के पास है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
میں ہوں تخلیق اپنے ہی رب کی ۔۔۔۔۔۔۔۔۔
میں ہوں تخلیق اپنے ہی رب کی ۔۔۔۔۔۔۔۔۔
Dr fauzia Naseem shad
लम्हा भर है जिंदगी
लम्हा भर है जिंदगी
Dr. Sunita Singh
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
भीष्म देव के मनोभाव शरशैय्या पर
Pooja Singh
हिरनगांव की रियासत
हिरनगांव की रियासत
Prashant Tiwari
"" *नारी* ""
सुनीलानंद महंत
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
Surinder blackpen
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
ब्राह्मण बुराई का पात्र नहीं है
शेखर सिंह
The most awkward situation arises when you lie between such
The most awkward situation arises when you lie between such
Sukoon
होली
होली
Madhavi Srivastava
नहीं देखी सूरज की गर्मी
नहीं देखी सूरज की गर्मी
Sonam Puneet Dubey
स्वर्गस्थ रूह सपनें में कहती
स्वर्गस्थ रूह सपनें में कहती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
Slok maurya "umang"
"सच का टुकड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
-- ग़दर 2 --
-- ग़दर 2 --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आँखों से गिराकर नहीं आँसू तुम
आँखों से गिराकर नहीं आँसू तुम
gurudeenverma198
Loading...