कल्पना से अधिक
कल्पना से अधिक
मन में आस्था लिये
प्रेमपूर्ण हृदय के साथ
हमने दीप जलाया
एक विश्वास के साथ
कि अंधकार दूर होगा
पर हमारी कल्पना से अधिक अं
धकार फैला है चारों तरफ
सडकें सूनी और अपरिचित सी हैं
उन पर खून के धब्बे भी हैं
सब एक दूसरे से बचकर
निकल जाना चाहते हैं
प्रकृति का संतुलन बिगड चुका है
हमारी कल्पना से अधिक
जहर फिज़ा में घुल चुका है
हर इंसान का चेहरा दागदार है
विवशतायें चरम पर हैं
कई जीवन की समस्याओं का हल
मृत्यु में खोज रहे हैं
शिक्षा व्यवसाय
औरत विज्ञापन हो गई है
आदमी रावण में
औरत आदमी में तब्दील हो रही है
गंगा मैली
और मदिरा महत्वपूर्ण हो गई है
अंग्रेज़ी बोलना और कम कपडे पहनना
सभ्यता की निशानी है
यह कल्पना से अधिक
विचित्र दौर है
भयावह!