कलम संग दवात का नाता
कोरे कागज पर कभी
कलम से लफ्ज़ थिरकते थे
डूब डूब कर दवातों में
स्याही संग निखरते थे।
कागज़ संग कलम की
दोस्ती बड़ी ही पुरानी है
बिन कलम के कागज की
दुनिया ही वीरानी है।
है इतिहास साक्षी हमने
वेद सृजन किया साकार
पत्र और लेखनी संग यह
था स्याही का चमत्कार
किन्तु आज आधुनिक युग में
कलम दवात की गयी बहार
लिया स्थान फाउन्टेन पेन ने
कागज को उससे हुआ प्यार
कहीं बहीखाते में होते
अब कलम दवात के दर्शन
या चित्र गुप्त पूजन में करते कलम दवात अर्पण
कलम हो या लेखनी
है माँ शारदे का वरदान
चाहे कलम दवात या हो पेन
देता हमें विद्या ही दान।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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