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12 Jun 2022 · 1 min read

कर दो बौछार

कर दो बौछार

तपती धरती करे पुकार,
मेघ राज कर दो बौछार।
पेड़ पात सब सूख रहे हैं,
करना नाही तुम इंकार।

वृक्ष हमारे आभूषण हैं,
है इनसे ही मेरा श्रृंगार।
गर्मी से सब तड़प रहे हैं,
करना तुम जरा विचार।

गर्म धूल का कहर मचा है,
दिखे मटमैला अब संसार।
हैं डाल पात पीले हो रोते,
मचा है जल का हाहाकार।

पालीथिन ने रोक है रखा,
जल बिन मिट्टी है अँगार।
मानव को समझ नहीं है,
क्या करे कोई सरकार।।

धुंआ धुन्ध बना अम्बर में,
सांसों खातिर हम लाचार।
सत्य इंसा आह में तपता,
मधुशाला में दिखता प्यार।

क्यूँ न अपनी बूंदों दे तुम,
करते धरती पर उपकार।
मानवता की बौछारों से,
खुश हो जाता ये संसार।

———————————–
अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.

Language: Hindi
116 Views
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