करोड़ों वाले लड़ते( कुंडलिया)
करोड़ों वाले लड़ते( कुंडलिया)
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लड़ते वही चुनाव हैं,जिन पर छब्बिस लाख
नोटों से बढ़कर नहीं , होती कोई साख
होती कोई साख , खड़े बिगड़े शहजादे
यह शतरंजी खेल , स्वर्ण के हैं सब प्यादे
कहते रवि कविराय , नोट के संग अकड़ते
क्या गरीब का काम , करोड़ों वाले लड़ते
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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