दिल की चाहत
करीब जाने की दिल की चाहत है जिसके
वह शख्स फिर इतना मुझसे दूर क्यों है !
किसी और के दिल में घर करके बैठा है ,
उसी से मिलने को दिल मजबूर क्यों है !!
इश्क हुआ है, यह दोनों की गनीमत है ,
फिर मैं कसूरवार, वह बेकसूर क्यों है !!
✍कवि दीपक सरल