करवाचौथ की बधाई नही दूंगा
मैं हुआ इंसान से भगवान,
धरती पर रहूँ कैसे
सारा दिन भूखा तुम्हें रखकर,
पेट भरकर मैं सोयूँ कैसे…!!
मैं खुद ही खुद से दूर हूँ,
आश्रीवाद में दूँ तुमको क्या..
जब मैं ही नही हुआ पूरा
तुमको पूरा करूँ कैसे..!!
कश्मकश में पड़ गया हूँ
कही नियति ना बदल जाए
मुझे भगवान समझकर के
कहीं मुझे छोड़ कर ना चली जाए..!!
मुझे रहने दो वही इंसान,
मचलने दो अपनी आँखों में,
झुकोगी पैर छूने तो,
टूट जाएगा तरन्नुम आखों से..!!
सच्चा प्रेम है यही,
मेरे कंधों से कंधा मिलाकर के बैठो,
रखो मेरे कदमों पर पैर अपने,
हर दूरी को आधा कर दो..!!
मुझे माफ़ करना प्रियतमा मेरी
करवाचौथ की बधाई,
मैं तुमको दे नही सकता
जब मैं खुद भूखा रह नही सकता
तो तुमको भूखा देख भी नही सकता…!!
मैं नही आराध्य कोई,
जो प्रमाण लूँ तुम्हारी मोहब्ब्त का
जब मैं परीक्षा दे नही सकता
तो तुम्हारी परीक्षा ले नही सकता..!!
तुम हँसकर कर के ही कहदो,
या कहदो गुस्सा भरी आखों से
मेरी मोहब्बत है तुम्ही से जानेमन
और तुम मेरे दिल में ही वसते हो..!!
यही काफ़ी है,
यही पर्याप्त है मेरे जीवन को
तुम हँसती रहो मेरे सामने
मैं पूरा करता हूँ तुम्हारे अधूरेपन को…!!