करमा-धरमा
प्रकृति पूजा के सन्नद्ध हमारे क्षेत्र में भाद्रपद शुक्ल एकादशी को लोक पर्व ‘करमा-धरमा’ मनाए जाते हैं, जो कुंवारी संतान करते हैं, जिनमें बहन और भाई दोनों निर्जला उपवास रखते हैं और रात में ‘झूड़’ नामक पौधे की पूजा-अर्चना करते हैं ।
यह पुरोहितविहीन पूजा है, जैसे कि ठाड़ीव्रत, छठ पर्व आदि । कर्मा पूजा या करमा-धरमा पूजा में करम-धरम नामक दो भाइयों के आपसी प्रेम को लिए लोककथा का पाठ होता है । पूजा सम्पन्न के बाद बहन-भाई सिर्फ फलाहार करते हैं । ऐसे कुंवारे-कुँवारी व्रतियों को अंतरतम से व हृदयश: शुभकामनाएं !