करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
जब भी मैं किसी को बचाने के लिए आया
उधेड़बुन में काटी है कई वर्षों की जिंदगी
कई ठौकरों के बाद जीने का सुरूर आया
✍कवि दीपक सरल
करके कोई साजिश गिराने के लिए आया
जब भी मैं किसी को बचाने के लिए आया
उधेड़बुन में काटी है कई वर्षों की जिंदगी
कई ठौकरों के बाद जीने का सुरूर आया
✍कवि दीपक सरल