कमरा उदास था
कमरा उदास था
तेरा बिस्तर उदास था
तू हो गई विदा तो
सारा घर उदास था,
बैठक में जहाँ बैठ के
करती थी पढ़ाई
करने लगीं वो कुर्सियाँ
मुझसे हीं लड़ाई
गमले के सारे फूल
हवाओं में झूलते
जैसे हों तेरा हाल-चाल
मुझसे पूछते
मम्मी बताओ आज
बनाऊँ क्या नाश्ता
हर शाम रसोई
तेरा देखे है रास्ता
पापा उदास खिड़की से
बाहर हैं झांकते
पलकें हुई हैं नम
तेरी तस्वीर ताकते
और माँ तेरी है फूट फूट
रोती अकेले
बिटिया की विदाई की मार
कैसे वो झेले
नीला तेरा कुर्ता
जो तुझे था बहुत पसंद
बक्से में रख दिया है उसे
मैंने करके बंद
वो लाल दुपट्टा तेरा
बेहद उदास है
किससे करे शरारतें
अब कौन पास है
पहली दफ़ा ये बात
मेरी समझ में आई
नानी ने तेरी ,कहा था
क्यूँ मुझको पराई!!