कभी हक़ किसी पर
कभी हक़ किसी पर जताया नहीं है।
ख़्वाहिश है क्या ये बताया नहीं है ।।
नाराज़ हो कर भी देखा है हमने।
किसी ने भी हमको मनाया नहीं है।।
कसमों का मेरी यकीं तुम न करना।
वादा कोई भी निभाया नहीं है।।
एहसास ए दिल की शिद्दत है शायद।
भुला के भी तुमको भुलाया नहीं है।।
कभी हक़ किसी पर जताया नहीं है।
ख़्वाहिश है क्या ये बताया नहीं है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद