*कभी शादी है हो जाती, कभी चाँटे भी होते हैं (मुक्तक)*
कभी शादी है हो जाती, कभी चाँटे भी होते हैं (मुक्तक)
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गुलाबों बीच टहनी में, लगे काँटे भी होते हैं
विधाता ने खुशी के साथ, गम बाँटे भी होते हैं
गुलाबों की ये खुशबू, गिफ्ट में कुछ सोचकर देना
कभी शादी है हो जाती, कभी चाँटे भी होते हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451