*कभी वह सोहनी होती, कभी वह हीर होती है (मुक्तक)*
कभी वह सोहनी होती, कभी वह हीर होती है (मुक्तक)
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धनुष-सी जिंदगी टेढ़ी, कभी ऋजु तीर होती है
कभी श्रम मूल में होता, कभी तकदीर होती है
अधूरी रह गई जिसकी, कहानी प्रेम की स्वर्णिम
कभी वह सोहनी होती, कभी वह हीर होती है
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ऋजु=सीधा
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रचयिता; रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 615451