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23 Feb 2018 · 1 min read

कभी भी मुझको वो मुझसे अलग होने नहीं देते

कभी भी मुझको वो मुझसे अलग होने नहीं देते
कभी यादों की गलियों में मुझे खोने नहीं देते

बिछाते रहते वो खुशियाँ ही खुशियाँ मेरी राहों पर
लगा कर गम गले अपने मुझे रोने नहीं देते

गये हैं सूख पर अब भी बचे हैं दाग जख्मों के
हरे होने के डर से वो उन्हें धोने नहीं देते

हमेशा साथ रहते है वो बन परछाई ही मेरी
अकेलेपन को मुझमें बीज तक बोने नहीं देते

तुम्हें ही देखने को ‘अर्चना’ बेचैन ये आँखें
तुम्हारे स्वप्न इनको चैन से सोने नहीं देते

23-02-2018
डॉ अर्चना गुप्ता

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