कभी माँ बनके मुझे प्यार दिया
कभी माँ बन के मुझे प्यार दिया
कभी बेटी बन सत्कार किया
नन्ही .. मुन्ही ..गुड़ीया ..बनकर
कभी खुशीयाँ हमें अपार दिया
कभी बहन बनी वो भाई की
कभी पत्नी बन परिवार दिया
कभी हँसी ठिठोली भाभी की
कभी दादी बन के दुलार किया
कभी माँ बन के……………….
कभी कृष्ण भक्ति मे लीन हुई
मीरा बनकर विष पान किया
कभी रानी बनी वो झाँसी की
तलवार हाँथ में थाम… लिया
कभी सावित्री बनकर तुमने
यमराज से पति को मांग लिया
कभी दुर्गा रूप में ….. आकर
असुरों ….का…. संहार…. किया
कभी माँ बन के………………
पढ़ लिखकर कल्पना……. बनी
और अंतरिक्ष में अभियान किया
कभी .. मदर . टेरेशा बनकर वो
सेवा ..कर ..जग ..में .नाम किया
कभी इंदिरा बनी वो भारत ..की
सत्ता हाथों …में ….थाम.. लिया
वो सहनशीलता की……. देवी
सब हँस हँस कर स्वीकार किया
कभी माँ बन के……………