कभी भी ग़म के अँधेरों से तुम नहीं डरना
कभी भी ग़म के अँधेरों से तुम नहीं डरना
हमेशा उम्र की गागर को प्यार से भरना
खयाल बस रहे छूटे जमीं न पैरों से
गगन को छूने की हसरत को कम नहीं करना
डॉ अर्चना गुप्ता
कभी भी ग़म के अँधेरों से तुम नहीं डरना
हमेशा उम्र की गागर को प्यार से भरना
खयाल बस रहे छूटे जमीं न पैरों से
गगन को छूने की हसरत को कम नहीं करना
डॉ अर्चना गुप्ता