“कभी-कभी”
“कभी-कभी”
कभी-कभी याद आती है
उन लोगों की,
जो धरती-आकाश की तरह
किसी छोर पर
मिलते हुए तो दिखते हैं
लेकिन मिल नहीं सकते कभी।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“कभी-कभी”
कभी-कभी याद आती है
उन लोगों की,
जो धरती-आकाश की तरह
किसी छोर पर
मिलते हुए तो दिखते हैं
लेकिन मिल नहीं सकते कभी।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति