*कब मन के पीछे कहो पड़ोगे (गीत)*
कब मन के पीछे कहो पड़ोगे (गीत)
________________________
घर का पेंट हुआ, कब मन के पीछे कहो पड़ोगे
(1)
वर्षाऋतु लो गई छोड़, घर में मकड़ी के जाले
दीवारों पर दीख रहे, कुछ धब्बे काले-काले
रेगमाल से रगड़ीं दीवारें, मन कब रगड़ोगे
( 2)
हुई सफेदी घर की शोभा, निखर-निखर कर आई
कोना-कोना चमक उठा, होकर हर ओर पुताई
मन को करने साफ, कहो कूॅंची को कब पकड़ोगे
(3)
नश्वर है जग नाशवान, होती मनुष्य की काया
सभी भूमि का स्वामी ईश्वर, सब उसकी ही माया
बुरे कर्म से पहले, लज्जा से कब कहो गड़ोगे
घर का पेंट हुआ, कब मन के पीछे कहो पड़ोगे
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र..) मोबाइल.999761551