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28 Apr 2022 · 1 min read

कन्यादान क्यों और किसलिए [भाग३]

आप कहते थे मेरे पापा ,
मान है तू इस घर की।
ऐसा कुछ मत करना बेटी ,
जो अपमान हो कभी इस घर की।

आज उसी मान को पापा ,
आपने दान दे डाला ।
मैने तो रखी मान आपकी ,
क्या मेरा मान आपने रख पाया।

जब आप कहते हो मेरे पापा ,
आज तेरी विदाई है ।
इस घर से तेरी डोली जा रही ,
इस घर के लिए तू पराई है।

जब लोग कहते है मेरे पापा
लौट के इस घर न आना तुम ।
डोली में जा रही इस घर से
अर्थी में उस घर से जाना तुम ।

आप को क्या मालूम पापा,
ये शब्द मुझे कितने चुभते हैं।
इसकी चूभन की कसक
मरने पर भी नहीं मरते है।

~अनामिका

Language: Hindi
5 Likes · 581 Views
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