..कदम आगे बढ़ाने की कोशिश करता हू…*
….कदम आगे बढ़ाने की कोशिश करता हू…
ऐ खुदा,
खुद को बदलने की कोशिश करता हू,
मंजिल के रास्तो के पास जाकर ,
छुने की हर पल कोशिश करता हूँ।
ठोकरो से हार मान कर ,
कदम आगे बढाता हू ,
तो मैं खुदको खाई मे पाता हू।।
जिंदगी को जिने की कोशिश करता हू, अपनो के पास रहने की कोशिश करता
हू ,
जिंदगी मे फासलो को भुलाकर,
प्यार की गंगा बहाने की कोशिश करता हूं ,
कदम आगे बढाता हू
जिंदगी को कफन में लपटे देखता हु…
नयी उम्मीद दिल मे जगाने की कोशिश
करता हू ,
नयी दुनिया सजाने की कोशिश करता हूं,
अपनो का हाथ सर पर रखने की कोशिश करता हू
जब हमेशा भी कदम आगे बढ़ाता हू .
मैं हमेशा चमन को काटो मे चलते देखा .
दिल की आग बुझाने की करता हू बिल का कर्ज चुकाने की कोशिश करता हूँ
पलको के आँसू पोछने की कोशिश करता हूँ
हमेशा कदम आगे बढ़ाता हू
अपनो को तोड़ता हू
सपनो के संग जिने की कोशिश करता हू
नदी मे जाकर दिल को साफ करने कोशिश करता हू
सबको माफ करने की कोशिश करता हूँ
में कदम आगे बढ़ाता हू खुद को हमेशा बिखरता हुआ पाता
जान की मुस्कुराहट सा पल तोफा देने की कोशिश करता हू .
धडकन को हमेशा सुनने की कोशिश करतो दिल को हमेशा हाल ऐ दिल बया करने कोशिश करता हू
कदम, आगे बढ़ाता हू अफसोस और दर्द के अलावा कुछ न हासिल कर पाता हूँ ।
नौशाबा जिलानी सुरिया