कत्थई गुलाब-शेष
संबंध कितने अजीब होते हैं न,,,
प्याज़ के छिलके,,,परत दर परत,,हटाते जाओ और अंत में क्या मिलता है,,
वही एक प्याज़ की परत।
चाहे जितनी कोशिश कर लो,ये रहस्य सुलझ हीं नहीं पाता,,कि अंत में जब वही परत मिलनी थी तो उसे परत दर परत ढँका क्यूँ गया था?
सुलेखा तीस पार कर चुकी है।उसका विवाह,,उसके और माँ के बीच में वह दूरी है जो उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के बीच है।
आज फिर उनकी किसी सहयोगिनी ने यह पसंदीदा विषय छेड़ा होगा और माँ के मुँह का स्वाद कसैला हो गया होगा।
अब उस स्वाद को क्या हीं कोई चाय की प्याली मीठा कर सकेगी,चाहे शक्कर कितनी भी डाली जाए।