*कड़वा बोल न बोलिए, कड़वी कहें न बात【कुंडलिया】*
कड़वा बोल न बोलिए, कड़वी कहें न बात【कुंडलिया】
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कड़वा बोल न बोलिए ,कड़वी कहें न बात
किसे पता कब दिन ढले ,कब हो जाए रात
कब हो जाए रात ,मित्र सब जगत बनाओ
रखो हृदय में प्रेम , भावना मधुमय लाओ
कहते रवि कविराय ,प्रथम दिन जैसे पड़वा
करो सुखद शुरुआत ,थूक दो मन का कड़वा
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पड़वा = हिंदी महीने के पक्ष अर्थात
पखवाड़े का पहला दिन
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451