कजरी
पिया साड़ी लिया दीं बाजार से,
जाके मोटर कार से ना
साड़ी किन के लिया दीं
हम पहिन के दिखा दीं
तोहसे नैना लड़ाईम प्यार से
जाके मोटर कार से ना
कईली पुण्य करमवा
मिलल हमके तू सजनवा
प्रेम दुगुना होई हर बार से
जाके मोटर कार से ना
मेहंदी हाथ में लगइती
खुद के ऐतना हम सजइती
रजऊ रुसी न हमरा ये बात से
जाके मोटर कार से ना
रहे केतनो मजबूरी
कबो होई ना ही दूरी
अब कबो न कहम एही बार से
जाके हाली कार से ना
राजा साड़ी लिया दीं बाजार से
जाके के मोटर कार से ना
—- सूरज राम आदित्य