कजरी
आके सावन में गले से लगाइ ल पिया,
जिया हर्षाइ द पिया ना।
सूरज के झाँकल, तनिको ना सहाला,
मँहगी चुनरिया, खरीदल ना जाला…….2
तनि पपिहा के कूक सुनाइ द पिया,
जिया……………………………..
सिर पर बदरिया, आ आ के लजाले,
लाजवन्ती सुरतिया, देख भागि जाले….2
बनि सरस मेघ जल, बरसाइ द पिया,
जिया……………………………..
दिलवा के झुलुवा, हिलोढा माचवे,
कमी आम पेड़ बिन,नाही सोहवे…….2
तनि आके हमके गोद में झुलाइ द पिया,
जिया……………………………….
सखिया सलेहरि अब कम्मे भेंटाली,
बहुते पिया किनले में जरि जाली..……2
हमहुँ बेटी हईं केहु के, सजाइ द पिया,
जिया……………………………….
धनवा किसनवा के, पशु चरि जाला,
ओसे ना सोलहों,सिंगार किनाला……..2
अजी आके तनि, झुमका गढ़ाइ द पिया,
जिया………………………………..
आके सावन में गले से लगाइ ल पिया,
जिया हर्षाइ द पिया ना।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.