कई लेखक पूर्ण विराम और विस्मयादिबोधक चिह्नों में फर्क नहीं कर पाते हैं
कई लेखक पूर्ण विराम और विस्मयादिबोधक चिह्नों में फर्क नहीं कर पाते हैं, जो कि पुस्तक की आरंभिक पृष्ठों से ही है । इतना ही नहीं, लेखक जी अल्पविराम (,) और ‘कि’ के बीच के अंतर को पाटने में सफल नहीं हो पाए हैं।
मिसाल के तौर पर वर्णित पुस्तक में आभार व्यक्त करते वक़्त लेखक ने ‘,’ और ‘कि’ दोनों का प्रयोग किये हैं, जो कि नैरेशन/कथनोपकथन के लिहाज से भी ‘,’ (प्रतीकार्थ चिह्न) का अर्थ ‘कि’ लिए ही होता है !
ऐसे में ऐसे लेखक की लेखकीय विसंगतियाँ भी उजागर होती जाती हैं, क्योंकि पहले पृष्ठ पर ही लेखक ने एक वाक्य में एक शब्द का चयन दो बार किए हैं, जो कि यथोक्त वाक्य को भदेस बनाता है, यथा- “हम जमकर मस्ती करेंगे और जमकर पार्टी मनायेंगे।”
लेखक साहब एक शब्द ‘जमकर’ कितनी बार प्रयोग करेंगे, जब उक्त वाक्य ऐसे लिखने पर ही स्पष्ट भाव दे जाती है।
‘जमकर’ का प्रयोग एक बार करेंगे, तो भी दोनों प्रसंगों में सहजतर उच्चरित हो जाएंगे, तथापि शब्द (मस्ती, पार्टी) के बाद ही क्रियाविशेषण का उपयोग करेंगे, वो भी एकबार ही । बकौल- “हम पार्टी देंगे और मस्ती जमकर करेंगे।”