और मैं हूँ…
रास्ते ओझल सी है आंखों
से अब तो,
पांव तले कुछ पग जमीं है
और मैं हूं।
ख्वाबों में ख्वाब देखता रहा
कल तलक,
आज मेरी आंखो में नमी है
और मैं हूं।
पाने की ख्वाहिश भर से पूरी
थी जिंदगी,
अब हर तरफ तेरी कमी है
और मैं हूँ।
– के के राजीव
रास्ते ओझल सी है आंखों
से अब तो,
पांव तले कुछ पग जमीं है
और मैं हूं।
ख्वाबों में ख्वाब देखता रहा
कल तलक,
आज मेरी आंखो में नमी है
और मैं हूं।
पाने की ख्वाहिश भर से पूरी
थी जिंदगी,
अब हर तरफ तेरी कमी है
और मैं हूँ।
– के के राजीव