और देरी ठीक नहीं
अपने आपको बदलने में
वक़्त के मुताबिक़ ढ़लने में
तुम जितनी ही देरी करोगे
तुम्हें उतनी क़ीमत चुकानी होगी!
दुनिया के साथ चलने में
अपनी क़ैद से निकलने में
तुम जितनी ही देरी करोगे
तुम्हें उतनी क़ीमत चुकानी होगी!
अपनी भूल को सुधारने में
अपनी छवि को निखारने में
तुम जितनी ही देरी करोगे
तुम्हें उतनी क़ीमत चुकानी होगी!
ठोकर खाकर संभलने में
मोम की तरह पिघलने में
तुम जितनी ही देरी करोगे
तुम्हें उतनी क़ीमत चुकानी होगी!
Shekhar Chandra Mitra