ओलंपिक के भइल आयोजन
ओलंपिक के भइल आयोजन,शहर टोक्यो देश जपान।
देश विदेश क वीर धुरंधर, सबकर उहँवा रहल जुतान।
कुश्ती खातिर आंखाड़ा तऽ, सजल रहल हांँकी मैदान।
केहू भाला लेके पहुँचल, केहू लेके तीर कमान।
पी.वी.,पुनिया, लवलीना अरु, हांकी कांस्य गइल हऽ जीत।
मीराबाई, रवि दहिया जी, रजत पदक के भइलन मीत।
कोशिश करत रहल सब केहू, जेकरि रहल भुजा में जान।
भाला लेके नीरज बबुआ, राखे गइल हिंद के शान।
कांसा मीलल चांदी मीलल, भारत देश भइल खुशहाल।
सोना के तमगा ना मीलल, बस एकर रह गइल मलाल।
अंतिम दिनवा आइल भइया, बचल रहल ना कवनो आस।
अंतिम आशा नीरज बबुआ, उनपर रहल आज विश्वास।
वीर भूमि भारत के धरती, जेकर दुनिया करे बखान।
चलल हवे नीरज के भाला, राखे खातिर अब सम्मान।
सत्तासी मीटर तब भाला, नीरज बबुआ दियो उछाल।
सोना दिहलऽ हऽ भारत के,जीय जीय माटी के लाल।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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