** ऐ हुस्नवाले **
ऐ हुस्नवाले तूं इश्क का एहतिराम कर
यूं ठुकरा ना बेदर्दी इबादत-ए-इश्क ।
तेरी फ़ितरत नही क्या फ़जल-ए-दोस्त
अदावत है किस वज़ह से इजहार कर।
क्या एतबार नहीं मेरे इश्क पे हमदम
निहायत है मुफ़ीद तिजारत-ए-इश्क।
अब करदे हवाले हुस्न मेरे मरहम
ऐ हुस्नवाले तूं इश्क का एहतिराम कर
।।
?मधुप बैरागी