*ऐसा स्वदेश है मेरा*
ऐसा स्वदेश है मेरा
मेरा देश है मुझको सबसे प्यारा
यह देश है लगता सबसे न्यारा
इसकी कथनी और करनी
देखो सबसे निराली।
ऐसा स्वदेश है मेरा…..
बुजुर्गों का प्यार मिले
बड़ों से संस्कार मिले
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे
सब यहाँ देखो पूजे जाते
राम -लक्ष्मण से भाई मिलते
भरत- शत्रुघ्न सा कर्तव्य निभाते।
ऐसा स्वदेश है मेरा……
गंगा जमुना बहती है
पवित्रता का पाठ पढ़ती है
जात- पात का भेद न कोई
गरिमामयी त्रिवेणी बन जाती है।
ऐसा स्वदेश है मेरा….
वीरों की गाथाएं
आज हिमालय दोहराता है
देश की खातिर जो शहीद हुए
उनका शौर्य गुनगुनाता हैं
बच्चा-बच्चा उनके आगे
शीश अपना झुकता है।
ऐसा स्वदेश है मेरा…….
हरमिंदर कौर, अमरोहा( उत्तर प्रदेश) मौलिक रचना