* ऐसा क्यों है ? *
राराष्ट्रीय पर्वो गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस , महात्मा गांधी जंयती के अवसर पर सार्वजनिक प्रतिष्ठानो के बंद को लेकर मेरा मन एक सवाल बार – बार करता है कि आखिर इन विशेष पर्वो पर शासन की ओर से सार्वजनिक प्रतिष्ठानो को बंद क्यो करवाया जाता है ? जब हमारे सार्वजनिक जीवन के पर्व ” दीवाली ” के मुख्य अवसर पर सार्वजनिक प्रतिष्ठान खुले रहते हैं , तब इन राष्ट्रीय पर्वो पर सार्वजनिक प्रतिष्ठानो को बंद क्यो करवाया जाता है ?
यदि इन राष्ट्रीय पर्वो पर सार्वजनिक प्रतिष्ठान बंद से मुक्त रहते , तो जैसे दीवाली पर्व पर देशवासी प्रकाशोत्सव करता है , उसी तर्ज पर इन राष्ट्रीय पर्वो पर भी देशवासी अपने घरों – दूकानों में सोल्लास – हर्षोल्लास – उमंग – गर्व के साथ प्रकाशोत्सव करते , राष्ट्रीय ध्वज फहराते , मिठाईयां बांटते और वह सब कुछ उमंग – उल्लास के साथ उसी प्रकार करते जैसे अपने सार्वजनिक जीवन के पर्वो पर करते हैं ।
इन राष्ट्रीय पर्वो पर सरकारी / गैर सरकारी कार्यालयों , प्रतिष्ठानो , स्कूलों. ..आदि के द्वारा झंडारोहण , स्कूली बच्चों का नगर भ्रमण ,सांस्कृतिक कार्यक्रम करने के पश्चात इतिश्री हो जाती है । कार्यक्रमो की समाप्ति के बाद नगर में सन्नाटा पसर जाता है । आम जनमानस भी घरों में दुबकर बैठ जाते हैं । मानो इन पर्वों से उनका कोई सरोकार नहीं है ।
यदि सार्वजनिक प्रतिष्ठान ,कार्यालय ,दुकान खुला रहता तो नगर मे चहल – पहल रहती । बिजली की झालरों से पूरा नगर जगमगाता । चहुँ ओर राष्ट्रीय ध्वज लहराता नजर आता । सार्वजनिक पर्वों की भांति इन राष्ट्रीय पर्वो को भी देशवासी आत्मसात कर लेते ।
ऐसा होने पर सभी देशवासियों के अंदर राष्ट्र प्रेम की भावना अपने – आप स्वतः स्फूर्ति लिए पनपेगी । सभी भारतीय राष्ट्रीयता के धागे में गुंथ जाएंगे ।
~~~ ईश्वर दयाल जायसवाल ;
टांडा – अंबेडकर नगर ( उ.प्र. ) ।
( मो. → 7408320246 )