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17 May 2024 · 1 min read

ए अजनबी तूने मुझे क्या से क्या बना दिया

ए अजनबी मुझे तूने क्या से क्या बना दिया,
मेरी वफ़ा का ये क्या सिला दिया।

कितना हंसकर जीते थे हम लेकिन,
तुमने मुझको मर मरकर जीना सीखा दिया।

कांटो से ही ज़ख्मी होते हैं हाथ सुना था हमने,
मगर यहां तो फूलों ने ही हाथों को छिला दिया।

अंधेरे से डर लगता था मुझे कभी, क्या कहूं अब तो रोशनी ने ही मुझको जला दिया।

उड़ाते हैं लोग मजाक मेरा जहां से भी गुजरती हूं,
तुमने इस कदर मेरा तमाशा बना दिया।

फिर भी दुआ देंगे हम तुमको क्यूंकि, और कुछ नहीं तो तुमने सरे महफिल हमको दीवाना बना दिया।

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