एहसास
कहा गुम हो गया वो जज़्बा
जिस ने मुझे मुहब्बत करना सिखया था….
सोयेहुये जज्बात
जगा के दिल् को धरकना सिखाया था…..
कभी जो दिल सा डूबा
कभी जब आस टूटी तब
किसी कमज़ोर लम्हे से निकालना…… भी
सिखायथा।
कभी जब चोट खायी
दिल पे……
कभी जब मुश्किल आयी.. कभीजब..आंखो
मैं उदासी बसी तो….
उसने फ़िर हमें रोते हुये हंसना सिखाया था.
.गर्दिशों के दौर में
हर एक बेखुदी से
हर एक बेकरारी से।
इसी ने तो हमे
बेखोफो -खतर
होकर जीना
सिखया था….
हम केसे करे ठीक इस दिल को
जिंदगी के वो जज्बे
.
वापस लौटाये ….
हम केसे करे इस दिल को जिंदा…..
के वो एहसास वापस लौट आये
देखो कहीं ये मर ना जाए खो ना…. जाए.
इसलिए हर इंसां को जरूरी है…दिलके नर्म अहसासों को बचाये
अगर ये गुम् हो गए या मार गए तो
बहुत बेकार होगा
इस्के बिना जीना क्यू के
सुनो!!!!
एहसास के बिना भी
जीनाभी है
कोई जीना …….
शबीनाज़
शबीनाजी