एक सपना
एक सपना देखा था उन्होंने
देश को राम राज्य बनाने का,
पर सपना तो सपना ही रह गया
देशसेवा के बदले वह अपना
सीना गोलियों से छल्ली कर गया;
आज उन्हें भला-बुरा हम ही
कहने लगे हैं जो लोग कभी
हमारे लिए चढ़े फाँसी भी,
भूल बैठे हैं हम उनको और
उनकी कुर्बानियों को ऐसे
थे ही नहीं वे इस देश के जैसे;
गुजारिश है मेरी यह सबसे
न करो निरादर उनका कभी फिरसे,
देखा था जो सपना वे देश के लिए
अब फर्ज बन गया वह तुम्हारे लिए ।